Thursday, June 11, 2009

राज्य सेवा मे आठ साल पूरे होने पर कुछ यादें ताज़ा karein !

आज राज्य सेवा मे आठ साल हो गए ....समय कैसे गुजर गया पता ही नही चला.... जैसे कल की ही बात हो हम सब साथी अपने समान के साथ ओ.टी.एस मे दाखिल हुए मन् मे कई शंकाए और आँखों मे अनंत सपने लिए .... ११ जून २००१ का वो दिन हम सभी १०८ साथी कभी न भुला पाएंगे ! ओ.टी.एस की यादें हर पल हमारे साथ रहेंगी.... कौन भूल सकता है वो पी .टी के समय होने वाली भागम भाग को? हम जैसे आलसी लोग जो एन वक्त पर जागते थे और ऐ.सी.शर्मा साहब की डांट के डर से अनमने भावव से पी.टी करने आते थे और पुरे टाइम पी.टी मे उंघते रहते थे.... वहीँ कुछ साथी बड़ी सीरिउस्ली पी.टी करते थे ... भवानी सिंह जी के मधुर व्यक्तित्व और योगेश कुमार भास्कर की पी.टी के समय अनोखी आवाजे निकालना हमारी सुबह को और भी हसीं बना देते थे .... योगेन्द्र फौजदार ,कमला जी ,रवि जैन, उमाजी, आदि कुछ साथी पी.टी मे सक्रियता से भाग लेते थे॥

मेस मे खाना खाते समय होने वाली मीठी नोक झोक आज भी याद आती है तो होठो पे मुस्कान आ जाती है.... ये नोक झोक मेस मे मिलने वाली खीर(जो कभी कभी मिलती थी) से कही ज्यादा मीठी होती थी... आज भी याद है एक baar खीर बनी थी जो काफ़ी seemit matra मे थी ,तभी light chali गयी और हम जैसे badmaash लोगो ने अंधेरे का faydaa उठा के दुसरे saathiyo की hisse की खीर chat कर li थी .... मेस से smabandhit एक किस्सा सबसे jyada याद ata है जब shri mojawat ने मेस मे aadhi रात को danga कर दिया जिसके कारण prakash जी जैसे सीधे आदमी को नोटिस मिल गया thaa जबकि prakashji का kasoor सिर्फ़ इतना ही thaa की वो mojawat को कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे थे....

रात को होने वाली gap goshthi मे saathiyo की rachnatmakta खुल के सामने आती थी जिसमे विशेष रूप से mojawatji और dinesh का nritya yaadgaar है,, kanawat जी का kapasan सभी साथियों की shradha का केन्द्र रहा ....शायद उसका mahatva वैसा ही रहा है जैसे धर्म के लिए kashi और haridwar का है.....

शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसको ये लम्हे याद नही आते हो..... क्लास रूम मे चलने वाला डेली न्यूज़ पेपर रीप टाईम्स जिसमे सभी दोस्तों का योगदान होता था बहुत ही शानदार होता था जिसमे समसामयिक विषयो के कार्टून होते थे... दोस्तों के स्नेह मे हम मेस के ख़राब खाने को भी स्वादिष्ट पकवान समझ कर खा जाते थे...

कुछ बातें जो हमेशा याद आयेंगी....mojawat जी के तीखे बाल जिस से वोल्ली baall अक्सर पंक्चर हो जाती थी.... प्रकाशजी और देवासिजी के बीच फेयर एंड लवली क्रीम के लिए होने वाली लडाई ,क्योकि देवासिजी को इस क्रीम से एलर्जी थी... सुभाष और प्रदीप सान्गावत के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा .... गोपाल मेवाडा का भोलापन और अनुराग भार्गव की सुंदर हस्त लेखन कला..... राजेंद्र सिंह जी के अनमोल वचन , कानावत जी का कपासन प्रेम , ब्रिजेश सोनी की अदाकारी और मिमिक्री , राजेश गुप्ता का बांकपन , राकेश मोहन जी की मुस्कान , पूरण सिंह जी की रहस्मयी दुनिया, कलुरामजी का सरल अंदाज़, हेमंत का अंग्रेज़ी गाना, उमेशजी और रवि का संगीत प्रेम, अर्चना जी की कविता, ज्योति निष्ठां की दोस्ती ,रेनू जी की मधुर गीत ,कमल यादव की मॉडल वाली चाल, समीर ओर पारस का डॉक्टर क्लब..यशपाल जी की उर्दू शायरी , जय सिंह जी का व्यक्तित्व , राजेश मील का एक ही गाना जो वो हमेशा गाते थे.... sumant सिंह क दर्शन ज्ञान ओर sahityik ज्ञान .... pankaj ojha की french कट daadhi .... naazim जी का जोश , ओर भी कई baatein हैं जो आज ८ साल बाद भी नही bhoolai जाती..... काश वो लम्हे waapas आ जाए..... काश ! कोई लौटा दे मेरे बीते huve दिन!

2 comments:

  1. ओमपाल जी,
    आपका का वर्णन पढ़ कर मन खुश हो गया,
    पुरानी यादों से मन भीग आया..
    बहुत शुक्रिया..!

    प्रकाश

    ReplyDelete