जैसा डर था वैसा ही हुआ ....भारत २० २० वर्ल्ड कप से बाहर हो गया.... एक अरब लोगो का सपना एक मिनट मे टूट कर यथार्थ के धरातल पर औंधे मुह आ गिरा .... सुपर आठ में वेस्टइंडीज़ और इंग्लैंड से हार कर भारत खिताब की दौड़ से बाहर हो गया..... धोनी की कप्तानी पर भी अब सवाल उठने लगे है .... वेस्ट इंडीज़ के ख़िलाफ़ ख़राब बल्लेबाजी और इंग्लैंड के ख़िलाफ़ बैटिंग आर्डर में रविन्द्र जडेजा को ऊपर भेजना वाकई एक रणनीतिक भूल थी जिसका खामियाजा भुगतना पड़ा .... इंग्लैंड के खिलाफ जिस तरह से भारतीय बल्लेबाजों ने शुरुआत की, उस से साफ़ लग रहा था की टीम दबाव में है ... निस्संदेह सहवाग की कमी खली,लेकिन १५३ का लक्ष्य २०- २० के लिहाज़ से कोई बड़ा लक्ष्य नही होता..बेशक अंग्रेजो ने अच्छी बोल्लिंग की लेकिन मेरा मानना है किये लक्ष्य आसानी से प्राप्त हो सकता था यदि टीम बिना किसी प्रयोग के नॉर्मली खेलती... २००७ कि विश्व विजेता टीम और इस टीम में यही फर्क रहा कि ,२००७ में टीम बेखौफ होकर बिना दबाव के खेली और वर्तमान टीम इस दबाव में खेली कि हम विश्व चैम्पियन हैं, और हमे ये ताज बचाना है... येही दबाव उनको ले डूबा ....
अपने नैसर्गिक खेल को छोड़कर धोनी ने बहुत ही रक्षात्मक खेल खेला.... धोनी को यह समझना चाहिए कि विश्व क्रिकेट में उनकी धाक एक विस्फोटक बल्लेबाज़ के रूप में है और उनके इसी रूप के कारण बड़े बड़े गेंदबाज़ उनसे डरते हैं.... उन्हें कप्तानी के बोझ को भूलकर अपना नैसर्गिक खेल खेलना चाहिए वरना जो टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया को चुनोती देती दिख रही थी वो वापस पहले जैसी कमज़ोर टीम बन जायेगी....इरफान पठान अब पहले जैसे खिलाडी नही रहे, सेलेक्टर्स को अब नए ऑल राउंडर कि तलाश करनी चाहिए...
Tuesday, June 16, 2009
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ओमपाल जी,
ReplyDeleteबहुत सही लिखा आपने...
भारतीय टीम और उसकी हार जीत हमारे लिए तो भावनाओं का विषय है परन्तु बी सी सी आई के लिए शुद्ध पैसे का विषय है...भारतीय क्रिकेट बहुत गन्दा हो गया है.
Yeah ur right.............indian cricket going on the path of indian hockey.....sooon cricket gonna diapear from india......neways this IPL olso makes effect on internation cricket......
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