Tuesday, April 7, 2009

मौसम बदल रहा है!

गर्मी की शुरुआत , लू के थपेडे ,पसीना, घमोरिया ...... बदलते मौसम के मिजाज़ के साथ ये सब फ़िर से नुमाया हो रहा है .... अभी चैन से सर्दी का लुत्फ़ लिया ही नही कि निगोडी गर्मी बेधड़क आ धमकी ,बिन बुलाई और मन मे गुस्सा लिए..... सूरज देवता आँखे तरेर रहे है जैसे हमे देख कर कह रहे है कि बहुत घूम लिए बेटा अब हिम्मत है तो बाहर आओ.....
इस बदलते मौसम के साथ एक मौसम और भी आया है.....चुनाव का मौसम..... भाई पहले चुनावी महाकुम्भ हुआ करता था क्योकि पाँच साल मे एक बार ही होता था....अब तो मुंबई कि बारिश कि तरह न जाने कब हो जाए कोई ऐतबार नही .... बारिश हो और मेंढक न हो कैसे हो सकता है.... तो bhaiya इस चुनावी बारिश के मौसम मे भी टर्र टर की कोई कमी नही है.....अभी कुछ दिन पहले एक नए नवेले मेंढक ने कुछ ज्यादा ही टर टर कर दिया तो पूरे कुवे मे बवाल मच गया ....एक बुड्ढे मेंढक ने तो उस युवा मेंढक को मारने तक का फरमान जारी कर दिया ....लेकिन उसी बूढे मेंढक की मेंढकी ने कल अनाप शनाप बक दिया.... अब इन मेंढको की लडाई मे नुक्सान तो बेचारे कुवे का है ....
हर राजनितिक दल का नारा है आम आदमी ..... यह आम आदमी १८ मई तक ख़ास रहेगा... और १८ के बाद शायद आम भी न रहे.... आज जो नेता वोट के लिए गली गली भटक अपने जूते घिस रहे हैं ...कल उनके दर्शन के लिए ये आम आदमी अपनी एडिया घिसेगा और ये सर्व सुलभ लोकप्रिय नेता अंतर्धान हो जायेंगे... कौन कहता है की सिर्फ़ पांडव ही अज्ञातवास गए ? हमारे जन नेता भी जीतने के बाद लोक कल्याण हेतु अज्ञातवास जायेंगे ..... ... फर्क सिर्फ़ इतना है की पांडव राज त्याग कर गए और ये लोग राज के आनंद उठाते हुवे जायेंगे... ये त्याग की पराकाष्ठा है ....
आज chaturth shreni की नौकरी के लिए भी qualification चाहिए लेकिन देश चलाने के लिए कोई qualification की जरुरत नही ....हाँ दो चार aaparadhik मामले हो तो अच्छा है ....उनसे raub padtaa है ....
लोग दिन रात पढ़ कर एक naukari paate हैं .....और बिना पढ़ाई के naukari देने waale बन जाते हैं...........
सोचो.... aisaa क्यों होता है?

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