आज हमारे पास सब कुछ है पर कुछ भी नही..... सचमुच हम अपनों मे बेगानों की तरह बस जी रहे हैं ....
आज हमारे पास तीन चार मोबाइल हैं पर मन की बात करने को दोस्त नही हैं.....
आज हमारे पास बड़ी बड़ी गाडियां है लेकिन जाने को ऐसी जगह नही जहाँ दो पल सुकून मिले .....
आज हमारे पास महँगी घडियां है लेकिन अपने लिए भी समय नही .......
हम घर बैठे बैठे ये जानते हैं कि अमेरिका मे क्या हो रहा है,लेकिन अपने पड़ोस मे कौन है ये जानने कि फुर्सत नही......
हम कितने बदल गए हैं?
Thursday, April 9, 2009
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